Bhabar kya hai : दोस्तों अगर आप भाबर के बारे में जानना चाहते हैं कि भाबर क्या है? भाबर किसे कहते हैं? तो इस आर्टिकल में हम आपको भाबर के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में आपको देने वाला है कि भाबर क्या है
भाबर क्या है? (Bhabar kya hai)
शिवालिक पर्वत श्रेणी के पहाड़ी श्रेणियों के समानांतर संकरी पट्टी में उतरती नदियों द्वारा बनाये गये कंकड़-पत्थर के जमाव वाला क्षेत्र ‘भाबर’ कहलाता है। इस क्षेत्र में नदियों का ठहराव नहीं होता। भाबर नाम उत्तराखंड में मिलने वाली एक स्थानीय लंबी घास पर आधारित है, जो कागज, चटाई और रस्सी वगैरह बनाने में काम आती है। उत्तराखंड जैसे राज्यों में भाबर क्षेत्र अच्छे राजस्व का स्रोत भी हैं।
हिमालय से निकलने वाली नदियां अपने भार को जलोढ़ पंखे के रूप में तलहटी में जमा करती जाती हैं। यही पंखे मिलकर भाबर पट्टी बनाते हैं। जिसकी सबसे बड़ी खूबी है सरंध्रता। इसी वजह से यहां आकर तमाम नदियां विलुप्त हो जाती हैं, और फिर आगे दक्षिण में जाकर निकलती हैं।
भाबर का परिभाषा
वास्तव में, जब हिमालय का आविर्भाव हुआ तो दूसरी ओर शिवालिक पहाड़ियों के दक्षिण में गहरी खाई भी निर्मित हो गई। बाद में इन खाइयों को भरने का काम गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा जमा की गई मिट्टी ने किया। गौरतलब है कि हिमालय को भौगोलिक विशेषताओं के आधार पर हम तीन हिस्सों में बांटकर देख सकते हैं। हिमालय का उत्तरी हिस्सा हिमाद्रि कहा जाता है। फिर हिमाचल आता है, और फिर हिमालय के सबसे दक्षिणी हिस्से में स्थित शिवालिक पर्वत श्रेणी। शिवालिक पहाड़ियों का एक हिस्सा पूर्वी और उत्तर-पूर्वी पंजाब में हिमाचल प्रदेश की सीमा से लगता हुआ स्थित है। इसी पर्वत-श्रेणी के नीचे, यानी दक्षिण में समानांतर रूप से भाबर पट्टी स्थित है।
यानी कह सकते हैं कि भाबर नदियों द्वारा लाये गये कंकड़ों से निर्मित एक संकरी पट्टी है, जो शिवालिक पहाड़ियों की ढलान के समानांतर सिंधु व तीस्ता नदियों के मध्य पाई जाती है। इसका निर्माण पहाड़ियों से नीचे उतरती नदियों द्वारा होता है। जहां लगभग सारी नदियां आकर भाबर में विलीन हो जाती हैं। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों को उनकी कुछ भौगोलिक विशेषताओं के आधार पर चार भागों में बांटा जा सकता है – भाबर, तराई, खादर और भांगर।
उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में जलोढ़ मिट्टी बहुतायत में पाई जाती है। जो काफी उपजाऊ और खेती के लिये उपयुक्त मानी जाती है। लेकिन भाबर की कंकड़-पत्थर से भरी धरती पर कोई फसल नहीं ली जा सकती। हालांकि भाबर के आसपास स्थित भांगर वगैरह में भूमि काफी उपजाऊ है। भाबर का पर्यावरण पर भी गलत असर पड़ता है।
भाबर का उत्तरी हिस्सा शिवालिक पर्वत श्रेणी के समानांतर स्थित एक संकरी पेंटी के रूप में है। जिसकी चौड़ाई करीब आठ-दस किलोमीटर है। यह पेटी हिमालय की तलहटी के साथ-साथ पूरब से पश्चिम की ओर चलती है। यह पेटी पूर्वी क्षेत्र में अपेक्षाकृत संकरी है, जबकि इसके पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी छोर काफी विस्तृत हैं।
भाभर की विशेषताएं
भाबर का यह क्षेत्र किसी भी तरह के कृषि कार्य हेतु उपयुक्त नहीं है। इसे बड़े-बड़े वृक्षों के लिये जाना जाता है। भाबर का मैदान जम्मू से लेकर असम तक फैला है। इसमें बजरी का तलछट जमा होता है। भाबर का हमारे पारिस्थितिकी तंत्र पर महत्वपूर्ण असर पड़ता है।
इस तरह भाबर की ये खासियतें गिनाई जा सकती हैं
जैसा कि हम पहले ही जान चुके हैं कि भाबर शिवालिक पहाड़ियों के समानांतर स्थित एक पथरीली पट्टी है, और यहां नदियों का ठहराव एकदम नहीं होता।
भाबर का पथरीला इलाका हिमालय और गंगा की के बीच स्थित है।
हिमालय से निकलने वाली नदियां इस क्षेत्र में आकर जमीन में सरंध्रता की वजह से विलीन यानी भूमिगत हो जाती हैं; और बस कुछेक नदियां ही सतह पर प्रवाहमान नज़र आती हैं।
भाबर के दक्षिणी क्षेत्रों में आकर ये नदियां पुनः निकल आती हैं, और काफी उपजाऊ नम और दलदली भूमि वाले तराई क्षेत्र का निर्माण करती हैं।
भाबर उत्तराखंड जैसे कुछ सूबों में काफी अहमियत रखता है, और इसके चलते अच्छी आमदनी होती है।
आज आपने क्या सीखा?
इस प्रकार सरल शब्दों कहा जाए तो– ‘भाबर’ हिमालय की शिवालिक पर्वत श्रेणी के नीचे यानी दक्षिण में सिंधु व तीस्ता नदियों के बीच समानांतर रूप से स्थित एक संकरी पथरीली पट्टी है। जो हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा लाकर जमा की गई बजरी आदि से निर्मित क्षेत्र है। और इसी वजह से भाबर क्षेत्रों में नदियां भूमिगत होकर बहती हैं।
अंतिम शब्द
Bhabar kya hai : इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको पूरी जानकारी दिए हैं कि भाबर क्या है (Bhabar kya hai) भाबर कैसे काम करता है भाबर की परिभाषा क्या है और भाबर क्या है उत्तर भी दिए हैं अगर आपको यह भाबर क्या है आर्टिकल पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें