(पूरी जानकारी) कहानी लिखने के नियम क्या हैं | एक अच्छी कहानी लिखने के नियम

Kahani likhne ka niyam kya hai : दोस्तों अगर आप कहानी लिखना चाहते है और आप जानना चाहते है की कहानी लिखने के नियम क्या है?, कहानी कैसे लिखा जाता है, कहानी में क्या क्या होना चाहिए तो आप कहानी लिखने के नियम क्या है इस आर्टिकल को पूरा पढ़े इस Article में पूरी जानकारी दी गई है कहानी लिखने के नियम क्या है

कहानियां हमें ज़िंदगी का मतलब समझाती हैं। इससे हमारी बुद्धिमत्ता रोचक तरीके से प्रगति करती है। इसके अलावा कहानियां हमारी कल्पनाशीलता विकसित करने का काम भी करती हैं।

उन्नीसवीं सदी में हिंदी गद्य लेखन के अंतर्गत ‘कहानी-लेखन’ विधा का विकास हुआ। कहानी विधा के तहत हिंदी की पहली रचना इंशा अल्ला खां की ‘रानी केतकी की कहानी’ को माना जाता है। हालांकि कहानी सुनने-सुनाने की परंपरा आदिम है। अपने देश में पंचतंत्र के जमाने से लेकर आज तक लोककथाओं व कहानियों की एक समृद्ध परंपरा रही है।

पहले जहां घटना केंद्रित, पौराणिक और उपदेशात्मक कहानियां प्रचलित थीं वहीं आज की कहानी जीवन के व्यापक और गूढ़ यथार्थ की अभिव्यक्ति होती है। समय के साथ कई महान साहित्यकारों ने कहानी विधा में नित नये आयाम जोड़े। हिंदी साहित्य में कहानियों का विकास कई चरणों में हुआ है। जिसका तथाकथित पांचवां चरण सन् 1976 से अब तक का समय माना जाता है।

ज़ाहिर है कि प्राचीन काल से अब तक कहानी के स्वरूप में काफी बदलाव आ चुका है। हालांकि कहानी के मौलिक तत्व कभी नहीं बदलते, क्योंकि हमारी भावनाओं की प्रकृति भी नहीं बदलती। इसलिये कहानी लिखने के नियम जानने से पहले यह समझ लेना जरूरी है कि कहानी से आखिर हमारा क्या अर्थ है!

Kahani likhne ka niyam kya hai

हिंदी की किसी भी दूसरी साहित्यिक विधा की तरह कहानी को भी किसी तकनीकी शब्दावली की परिभाषा में बांधना खासा मुश्किल है। फिर भी समय-समय पर तमाम साहित्यकारों और विद्वानों द्वारा इस संबंध में अपने विचार व्यक्त किये गये हैं। जो इस तरह से हैं

अमेरिकी साहित्यकार एडगर एलिन पो के मुताबिक – “कहानी वह छोटी आख्यात्मक रचना है जो एक बैठक में पढ़ी जा सके, पाठक पर एक समन्वित प्रभाव रक्खे, जिसमें उस प्रभाव को पैदा करने में सहायक तत्वों के सिवा और कुछ न हो, और जो अपने आप में पूर्ण हो।


कथा-सम्राट प्रेमचंद के अनुसार एक कहानी की रूपरेखा कुछ इस तरह से होती है – “कहानी ध्रुपद की तान जैसी है, जिसमें गायक शुरू में ही सारी प्रतिभा दिखा देता है। और एक क्षण में इतना माधुर्य भर देता है जो सारी रात खाना सुनने से भी संभव नहीं है।” एक अन्य स्थान पर वे कहते हैं – “कहानी एक ऐसी रचना है जिसमें जीवन के किसी एक अंग, किसी एक मनोभाव को दिखाना ही लेखक का मकसद होता है। उसके चरित्र, उसकी शैली और उसका कथा-विन्यास सबकुछ एकमात्र उसी भाव को पुष्ट करता है। उपन्यास की तरह इसमें मानव जीवन का संपूर्ण अथवा वृहत् रूप दर्शाने का प्रयास नहीं किया जाता। वह ऐसा रमणीय उद्यान नहीं जिसमें भांति-भांति के फूल और बेल-बूटे सजे हों। बल्कि यह एक गमले की तरह है; जिसमें एक ही पौधे का माधुर्य अपने उत्कृष्ट रूप में नज़र आता है।”

इस तरह कह सकते हैं कि कहानी गद्य साहित्य की वह रोचक और लोकप्रिय विधा है जिसमें जीवन के किसी विशेष पहलू की मार्मिक व कलात्मक अभिव्यक्ति होती है। इसके अंतर्गत एक घटना, चरित्र अथवा समस्या का क्रमिक ब्यौरा दिया जाता है, जिसका हमारे मन पर एक समन्वित प्रभाव पड़े।

कहानी लिखते समय ध्यान रखी जाने वाली बातें

कहानी लिखते समय न तो किसी प्रसंग को बहुत संक्षिप्त करना चाहिये, और न ही उसे अनावश्यक विस्तार देना चाहिये बल्कि एक संतुलित विवरण पेश किया जाना चाहिये।
कहानी का प्रारंभ विशेष रूप से आकर्षक होना ज़रूरी है। आप चाहें तो इसके लिये किसी प्रभावशाली संवाद या प्रसंग का सहारा भी ले सकते हैं।
कहानी की भाषा-शैली सरल, सुग्राह्य और प्रवाहशील होनी चाहिये।

इसके अलावा कहानी लिखते समय क्लिष्ट शब्दों और लंबे अस्पष्ट वाक्यों का प्रयोग नहीं करना चाहिये। पंचतंत्र आदि प्राचीनकालीन कहानियों का उद्देश्य मनोरंजन के साथ उपदेश देना होता था। पर अब कहानी जीवन की यथार्थ संवेदनाओं व समस्याओं की बात करती है। यही वजह है कि तब से अब तक कहानी के ढांचे में एक आमूलचूल परिवर्तन आ चुका है। एक अच्छी कहानी लिखने के लिये इन कदमों का अनुसरण भी कर सकते हैं

कहानी लिखने के नियम क्या है?

  • अपनी कहानी का विषय निर्धारित करें
  • अब कहानी का खाका तैयार कर लें
  • कहानी में चरित्रों को विकसित करें
  • कहानी में संघर्ष और ड्रामा व सस्पेंस डालें
  • कहानी को दिलचस्प बनायें
  • कहानी का जॉनर तय करें
  • कहानी में समुचित संवाद डालें
  • अपनी कहानी को एक संतोषजनक और प्रभावशाली अंत की ओर ले जायें
  • कहानी में कुछ प्रेरणा या संदेश समाहित करें।

कहानी के मौलिक तत्व और कहानी-लेखन

कहानी में रोचकता और प्रभाव के नजरिये से छ: मौलिक तत्व महत्वपूर्ण माने जाते हैं – विषयवस्तु अथवा कथानक, चरित्र या पात्र, संवाद, भाषा-शैली, देश-काल और वातावरण तथा कहानी का उद्देश्य। कहानी का मूल कथ्य कथानक कहलाता है।

कहानी लिखने से पहले जरूरी है कि अच्छी कहानियां पढ़ी जायें। कहानी लिखने के ‘बेसिक्स’ जानने के बाद जरूरी है कि अच्छे और मान्यता प्राप्त लेखकों को पढ़कर उनके लेखन की कहानी के मौलिक तत्वों के आधार पर आलोचनात्मक विवेचना की जाय। लोकप्रियता के पहलुओं से उन्हें आंका जाय। ताकि हम कहानी-लेखन के काम से पहले उसके बारे में सही प्लानिंग कर सकें। एक अच्छी कहानी लिखने के लिये ये बातें आपके काफी काम की साबित हो सकती हैं

अपनी कहानी के विषय-वस्तु अथवा कथानक का निर्धारण करें

कथानक से अर्थ है कि आप अपनी बात अपनी कहानी को किस तरह कहना चाहते हैं। किसी कहानी के विषय-वस्तु या कथानक के भी पांच पहलू होते हैं

  • कहानी का परिचय
  • कहानी की मूल समस्या
  • कहानी का चरमोत्कर्ष
  • कहानी में परिणाम
  • कहानी का अंत।

पहले कहानी वर्णनात्मक शैली में हुआ करती थी, और इसके तीन अंग – किसी घटना का प्रारंभ, उसका विकास और फिर अंत शामिल होते थे। पर अब यह जरूरी नहीं। कहानी के लिये विषय-वस्तु संबंधी चयन करते समय ख्याल रखें कि उससे कहानी में सार्थकता आये। साथ ही कहानी का संदेश पूरी प्रासंगिकता के साथ उसे पढ़ने या सुनने वाले तक पहुंचे।

कहानी के पात्रों का विकास विश्वसनीय ढंग से करें

अपनी कहानी के लिये कथानक, यानी कहानी का ढांचा तय करने के बाद उसके अनुसार पात्रों का चयन कर उनके व्यक्तित्व की स्थापना करनी होती है। पात्रों का विकास पूरी विश्वसनीयता से हो, और कहानी के पाठकों अथवा श्रोताओं को उनके व्यक्तित्व में कोई असंगत सा विरोधाभास न नज़र आये, इसका ख्याल रखें।

आपने अपनी सहज कल्पना से जिन पात्रों को रचा है उनकी चारित्रिक खासियतों के प्रति निष्ठा रखिये, और किसी स्थापित व्यक्तित्व को कथानक के अनुकूल ढालने की कोशिश न करें। इसके बजाय पात्रों को उनके अनुरूप संवाद खुद से बोलने दें। उनके चरित्र के मुताबिक उन्हें अलग-अलग परिस्थितियों के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया देने दें। इससे आपकी कहानी जानदार बनेगी।

सशक्त संवाद-योजना तैयार करें

कहानी लिखने के नियम कोई पत्थर की लकीर जैसे नहीं हैं। एक कहानी की शुरुआत में लेखक अपने कथानक के संबंध में–कब, क्या, कहां, कैसे और क्यों ‌जैसे प्रश्नों के उत्तर देने की कोशिश करता है। अपनी कहानी में संवाद योजना करते समय ख्याल रखें कि वे देश-काल और पात्रों को ध्यान में रखते हुये बनें। संवाद पात्रों के आदर्शों, विश्वासों और परिस्थितियों के अनुरूप होने चाहिये। ध्यान रखें कि संवाद लिखते वक़्त लेखक को पूरी तरह खो जाना चाहिये, और पात्रों को ही उनके संवाद स्वाभाविक रूप से करने देना चाहिये। इस तरह से आप अपनी कहानी के लिये एक सशक्त संवाद-योजना तैयार कर सकते हैं।

कहानी की भाषा-शैली सरल और सुग्राह्य हो

कोई कहानी हमारी किसी भावना को ही उकेरती है। और भावनाओं की अभिव्यक्ति भाषा के माध्यम से ही होती है; जो हमारी बेहतर कथन-शैली से और भी असरदार ढंग से संभव हो जाता है। इसलिये हमें कहानी की भाषा-शैली सरल, स्पष्ट और बोधगम्य रखनी चाहिये। क्लिष्ट और दुरूह भाषा इस्तेमाल करने से बचना चाहिये।

भाषा के साथ ही उसके प्रयोग का तरीका यानी शैली भी सहज होनी चाहिये। अर्थात् आपका शब्द-चयन या वाक्य-विन्यास कथानक से मेल खाने वाला होना चाहिये। आजकल की कहानियों में हमारे मनोभावों और अवचेतन मन में दबे विभिन्न स्तरों को खोलने के लिये तरह-तरह की शैली इस्तेमाल की जाने लगी है। इसके अलावा कहानी के प्रस्तुतीकरण को लेकर भी तमाम अभिनव प्रयोग किये जा रहे हैं।

कहानी का उद्देश्य

कहानी का उद्देश्य उसमें कुछ इसी तरह निहित होता है जैसे फूलों में सुगंध। शुरुआती दौर में कहानियां प्रमुख रूप से नीतिगत संदेश देने वाली हुआ करती थीं। जैसे – पंचतंत्र या बैताल-पच्चीसी अथवा हितोपदेश आदि। पर अब तक यह ट्रेंड काफी बदल चुका है। क्योंकि मनोरंजन और किसी ऐतिहासिक व्यक्तित्व के चरित्र-चित्रण से बढ़कर एक अच्छी कहानी का उद्देश्य प्राकृतिक अथवा शाश्वत सत्य को उजागर करना भी होना चाहिये।

कहानी में संघर्ष, भ्रम और ट्विस्ट डालें

कहानी में अगर ट्विस्ट नहीं है, संघर्ष नहीं है, यानी अगर कहानी के नायक को अपना सबकुछ अभीष्ट यथासमय मिलता रहे, तो कहानी में कुछ दम ही न बचेगा। उससे हमारे भीतर मनोभावों का कोई विचलन नहीं होगा। फिर ऐसा वर्णन कॅमेंट्री अथवा एक सीधी-सादी रिपोर्टिंग के अंतर्गत भले रखा जाये, पर उसे किसी भी सूरत में कहानी कहना मुनासिब न होगा।

कहानी में ट्विस्ट लाने के लिये या नायक-नायिका के तमाम संघर्षों को दर्शाने को प्रेम-त्रिकोण, पीढ़ीगत अधिकारों का संघर्ष आदि विषयों का सहारा लिया जाता रहा है। पर आप कुछ बेहतर भी आजमा सकते हैं। इसलिये कोई भी कहानी उतना ही हमारे भीतर भावोद्रेक जगा सकती है, और लोकप्रिय हो सकती है, जितना उसमें बेहतर तरीके से किसी संघर्ष का चित्रण किया गया हो।

कहानी का अंत कैसे करें?

हम जानते हैं कि कहानियां सुखांत अथवा दुखांत हो सकती हैं। कभी-कभी कोई कहानी ख़त्म होने बाद भी हमें देर तक सोचने पर मजबूर कर देती है। पर कभी-कभी, अक्सर लेखकों की ही लापरवाहीवश, कहानी का अंत हमें हजम नहीं होता। इसलिये कहानी लिखने का एक नियम यह भी है कि उसे जबरन या अस्वाभाविक अंत की ओर न लें जायें। कहानी का अंतिम हिस्सा जितना संवेदनशील होता है, कहानी का असर उतना ही गहरा होता है।

इस तरह देखा जा सकता है कि अगर हम उपरोक्त बातों का ध्यान रखें तो अच्छी कहानी लिख सकते हैं। कहानी लिखने की कला आने का अर्थ है मन के भावों से खिलवाड़ में समर्थ होना। किसी विद्वान ने सच ही कहा है कि – कहानी मन के भावों से खिलवाड़ करती है। इसके लिये हमें कहानी में प्रतीकों का इस्तेमाल भी बखूबी करने की जरूरत होती है। इसके अलावा कहानी का शीर्षक भी आकर्षक होना चाहिये। साथ ही कोई भी कहानी अनावश्यक लंबी खिंचने पर पाठक या श्रोता ऊब जाते हैं, अतः ऐसी चीजों से बचें।

वास्तव में करीब-करीब हम सभी कुदरती तौर पर एक अच्छे कहानीकार होते हैं। कहानी किसी वाकये का प्रभावी वर्णन करना ही है। पर जब बात आती है व्यावसायिक अथवा साहित्यिक स्तर की उम्दा कहानी लेखन की, तो हमें अपने इस हुनर को आज के वक़्त के अनुसार थोड़ा तराशने की जरूरत होती है। इसके लिये हम ‘क्रिएटिव राइटिंग’ के तमाम उपलब्ध कोर्सों में दाखिला भी ले सकते हैं।

इसके अलावा चीजों का मुक्तकंठ वर्णन करना, उन पर गहराई से विचार करना, जीवन की समस्याओं और शब्द-पहेली भरना जैसी गतिविधियों के नियमित अभ्यास से आपकी कहानी-लेखन की कला दिनों-दिन निखरती जाती है।

अब एक अच्छी सी कहानी लिखने के लिये आपको करना बस ये है कि, अपनी कहानी के लिये कोई अच्छी प्रेरणा जगने तक पूरी संवेदनशीलता के साथ जीवन के हर पहलू पर गौर करते रहें। कहानी लिखने की प्रेरणा या उमंग और आत्मविश्वास जग जाये तो अपने कथानक का निर्धारण करें और बेबाक लेखन शुरू कर दें। बाद में इसमें कांट-छांट होती रहती है। पर ध्यान रखें कि लिखने के साथ ही एडिटिंग करने का प्रयास केवल समय खाता है। फिर लिखने के बाद कहानी को समय-समय पर एक ईमानदार आलोचनात्मक नजरिये के साथ तब तक दोहराएं जब तक कि आप खुद संतुष्ट नहीं हो जाते। इन तमाम बातों का ख्याल रखें तो आप कहानी लिखने में पारंगत हो सकते हैं।

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