IPO क्या है? IPO के बारे में पूरी जानकारी, IPO से करें मोटी कमाई

IPO Kya Hai : दोस्तों क्या आप IPO के बारे में जानना चाहते हैं कि IPO क्या है (IPO Kya Hai), IPO कैसे काम करता है और आईपीओ क्या होता है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें कि आईपीओ क्या है

मौजूदा समय में किसी भी इंसान को अच्छे से जिंदगी जीने के लिए तीन मूल भूत सुविधाओं की आवश्यकता होती है, ये तीनों चीज़ें हैं रोटी कपडा और मकान। इन सभी मूलभूत सुविधाओं को अच्छे तरीके से जारी रखने के लिए पैसों की भी आवश्यकता होती है। हमने आपने पिछले किसी आर्टिकल में आपको पैसे कमाने के कुछ तरीके बताये थे और आज भी आपको उन्हीं तरीकों में से एक तरीका जो मौजूदा समय में ट्रेंडिंग पर है उसके बारे में बताएँगे।

जब भी आप अपने किसी भी परिचित या रिश्तेदारों से पैसे कमाने के सम्बन्ध में कोई बातचीत करते हैं तो वो अक्सर ही आईपीओ (IPO) के बारे में चर्चा करते हैं। अगर आपकी भी गिनती उन्ही लोगों में आती है जिन्हे आईपीओ से सम्बंधित कोई पुख्ता जानकारी नहीं है तो अब आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है आज के इस आर्टिकल में हम आपको आईपीओ (IPO) से सम्बंधित सभी जानकारियां विस्तार से देंगे।

Ipo Kya Hai – आईपीओ क्या है?

जब भी कोई कंपनी अपने सामान्य स्टॉक या शेयर्स को पहली बार जनता के लिए उपलब्ध कराता है तो उसी प्रक्रिया को ही आईपीओ (IPO) के नाम से जाना जाता है। किसी भी लिमिटेड कंपनी के द्वारा इस आईपीओ (IPO) को जारी करने की मुख्य वजह यह भी है की इसी आईपीओ (IPO) के दम पर ही कोई भी कंपनी शेयर बाजार में खुद को रजिस्टर करती है। शेयर बाजार में रजिस्टर होने के बाद से ही बाजार के अंदर कम्पनी के शेयर को खरीद या बेच सकते हैं। जब किसी भी कंपनी को फंडिंग या फिर अपने क्षेत्र में विस्तार करने के लिए विचार करती है तब उसे आईपीओ (IPO) की आवश्यकता होती है।

जब एक कंपनी अपने सामान्य स्टॉक या शेयर्स को पहली बार जनता के लिए सामने रखती है तब उसे आईपीओ (IPO) की आवश्यकता होती है।

किसी भी कम्पनी के अंदर एक ग्राहक दो तरीकों से आईपीओ (IPO) के अंदर निवेश कर सकता है

  1. फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (Fixed Price IPO)
  2. बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO)

1. फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (Fixed Price IPO)

फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (Fixed Price IPO) को इश्यू प्राइस के रूप में संदर्भित किया जा सकता है , जो कुछ कंपनियां अपने शेयर्स और स्टॉक की प्रारंभिक बिक्री के लिए निर्धारित करती है। फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (Fixed Price IPO) को लागु करते ही इन्वेस्टर को कंपनी के शेयर्स के बारे में जल्द ही पता चल जाता है। इश्यू को बंद करते ही कंपनी के मालिकों को शेयर की डिमांड देखकर उसकी असली कीमत पता लगाने में मदद मिलती है।

यदि कोई निवेशक फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (Fixed Price IPO) में अपना निवेश करता है तो ग्राहक को पहली ही किश्त में उसके सभी बिलों का भुगतान करना आवश्यक हो जाता है। अगर कोई ग्राहक पहली ही किश्त में इन सभी किश्तों का भुगतान नहीं कर पाता है तो वह फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (Fixed Price IPO) में निवेश करने के लिए उपलब्ध नहीं माना जाता है।

2. बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO)

बुक बिल्डिंग के मामले में आईपीओ शुरू करने वाली कंपनी निवेशकों के शेयर्स पर करीब 20 प्रतिशत मूल्य बैंड प्रदान करती है। बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO) में निवेश करने वाले इच्छुक ग्राहक कम्पनी के द्वारा शेयर्स की कीमत तय करने से पहले बोली लगा सकते हैं। बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO) में निवेश करने वाले ग्राहक को पहले से ही उन सभी शेयर्स को चिन्हित करने की आवश्यकता होती है जिनमें वो निवेश करने के लिए तैयार हैं और इसके लिए उन्हें कभी भी उन शेयर्स के पैसों का भुगतान करना पड़ सकता है।

IPO full form in Share Market | आईपीओ का फुल फॉर्म क्या होता है

आईपीओ (IPO) का फुल फॉर्म होता है – इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (Initial Public Offering) जब कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट होती है तब सबसे पहले उस कंपनी का आईपीओ निकाला जाता है ताकि कोई भी पब्लिक उस कंपनी का शेयर खरीद सके

कंपनी आईपीओ कैसे ऑफर करती है

सार्वजानिक होने से पहले कोई भी कंपनी आईपीओ को सँभालने के लिए एक बैंक की आवश्यकता होती है। उस कंपनी के शेयर्स के अंदर उस बैंक की भागीदारी का होना आवश्यक है। निवेश करना वाला बैंक और कंपनी हामीदारी समझौते में आईपीओ के वित्तीय विवरण का काम करती है। इन सभी जरुरी कामों के बाद, बैंक एसईसी के साथ पंजीकरण विवरण को दर्ज करते हैं। एसईसी की जाँच में अगर अधिकारीयों को सभी जानकारियां पुख्ता और सटीक लगती हैं तो वो इस काम के लिए स्वीकृति प्रदान करते हैं। स्वीकृति मिलने के बाद ही बैंक और कम्पनी मिलकर आईपीओ की नीलामी के लिए तारिख का ऐलान करते हैं।

कंपनियां आईपीओ क्यों ऑफर करती हैं

किसी भी कम्पनी के द्वारा आईपीओ को ऑफर करने के लिए निम्न मुख्य कारण हैं

1. आईपीओ को ऑफर करना कंपनियों के द्वारा पैसा कमाने का पहला और मुख्य चरण होता है। चूँकि किसी भी कम्पनी को चलाने के लिए बहुत अधिक पैसों की आवश्यकता होती है। इसकी वजह से कंपनियों को लोन और उधारी को चुकाने के लिए आईपीओ को लागु करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।

2. खुले बाजार के अंदर कंपनियों की एक पैठ बन जाती है। आईपीओ को लागु करके कंपनी ग्राहकों को प्रलोभन देने का काम करती है।

3. सार्वजानिक होने वाली कंपनी का मतलब होता है की ब्रांड ने स्टॉक एक्सचेंजों में फॉर्म भरने के लिए पर्याप्त सफलता हासिल कर ली है। यह किसी भी कंपनी की विश्वस्तनीयता और गर्व की स्थिति होती है।

* डिमांडिंग मार्केट में, एक सार्वजनिक कंपनी हमेशा अधिक स्टॉक जारी कर सकती है। यह अधिग्रहण और विलय का मार्ग प्रशस्त करेगा क्योंकि सौदे के हिस्से के रूप में शेयर जारी किए जा सकते हैं।

क्या आईपीओ में निवेश करना उचित है

किसी भी कंपनी के आईपीओ के अंदर निवेश करने में शुरूआती समय में तय करना बहुत अधिक मुश्किल होता है। हालाँकि किसी भी प्रकार के निवेश में कुछ जोखिमों का होना सामान्य है।

आईपीओ के अंदर निवेश करने से पहले ग्राहक को इन चीज़ों का पता होना आवश्यक है

1. कंपनी के पृष्ठभूमि की पूरी जानकारी लें

आपके निर्णय के समर्थन में कंपनी के पास पर्याप्त ऐतिहासिक डेटा नहीं है, क्योंकि यह अब सार्वजनिक हो रहा है।  प्रॉस्पेक्टस में दिया गया रेड हेरिंग आईपीओ विवरण का डेटा है आपको इसे क्रॉस चेक करने की आवश्यकता है। फंड प्रबंधन टीम और आईपीओ से उत्पन्न धन का उपयोग करने की उनकी योजनाओं के बारे में जानकारी अवश्य लें।

2. कंपनी के बीमा करता कौन हैं

बीमा कर्ता की प्रक्रिया नई प्रतिभूतियां जारी कर निवेश जुटाना है। छोटे निवेश बैंकों को अंडरराइट करने से सावधान रहें। वे किसी भी कंपनी को अंडरराइट करने के लिए तैयार हो सकते हैं। आम तौर पर , एक आईपीओ बड़े ब्रोकरेज द्वारा समर्थित होता है जिसमें सफलता की संभावना होती है जो एक नए मुद्दे को अच्छी तरह से समर्थन देने की क्षमता रखते हैं।

3. लॉक–अप अवधि

आईपीओ के सार्वजनिक होने के बाद अक्सर आईपीओ में गहरी गिरावट आती है। शेयर की कीमत में गिरावट का कारण लॉक-अप अवधि है। शेयर की कीमत में इस गिरावट का कारण लॉक-अप अवधि है। लॉक-अप अवधि एक संविदात्मक खंड है जो किसी कंपनी के अधिकारियों और निवेशकों को अपने शेयर बेचने की अवधि को संदर्भित करता है। लॉक-अप अवधि समाप्त होने के बाद, शेयर की कीमत उसके मूल्य में गिरावट का अनुभव करती है।

4. फ़्लिपिंग

जो लोग किसी कंपनी के शेयरों को सार्वजनिक रूप से खरीदते हैं और उन्हें द्वितीयक बाजार में जल्दी पैसा बनाने के लिए बेचते हैं, फ्लिपर्स कहलाते हैं। फ़्लिपिंग से व्यावसायिक गतिविधि शुरू होती है।

आईपीओ में निवेश करने से पहले ग्राहकों को इन चीज़ों का ध्यान रखना जरुरी है

1. यदि आपने कंपनी के लिए आईपीओ खरीदा है, तो आप कंपनी की डायरेक्ट लाइन से जुड़ सकते हैं। इसकी सफलता और हानि का आप पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

2. यह आपके पोर्टफोलियो की यह संपत्ति है जिसमें रिटर्न देने की उच्चतम क्षमता है। दूसरी तरफ, यह बिना किसी संकेत के आपके निवेश को सिंक कर सकता है। याद रखें कि यह शेयर बाजारों की अस्थिरता के अधीन है

3. आपको पता होना चाहिए कि एक कंपनी जो जनता को अपने शेयर पेश करती है, वह सार्वजनिक निवेशकों को पूंजी की प्रतिपूर्ति करने के लिए बाध्य नहीं होती है।

4. आईपीओ में निवेश करने से पहले आपको संभावित जोखिमों और पुरस्कारों को तौलना चाहिए। यदि आप नए हैं, तो किसी विशेषज्ञ या मनी मैनेजमेंट अकाउंट फर्म से सबक लें। यदि अब भी संदेह हो, तो अपने निजी वित्तीय सलाहकार से बात करें।

आईपीओ में निवेश कैसे करें

दोस्तों अगर आप IPO में अपने पैसे को निवेश करना चाहते हैं तो आपको बता दें कंपनी IPO निकालने से पहले सभी ब्रोकर को बता दिया जाता है कि किस दिन IPO आने वाला है जिस दिन किसी भी कंपनी का IPO आता है तो आप उस कंपनी के IPO में पैसा लगा सकते हैं

लेकिन IPO में ज्यादा पैसे लगाने पड़ते हैं क्योंकि आईपीओ में आपको एक Share नहीं मिलता है इसमें लौट के हिसाब से शेयर को बांटा जाता है और एक लौट में कितने शेर होते हैं शेयर होते हैं वह कंपनी ही डिसाइड करता है और शेयर का प्राइस कितना होता है और यह भी कंपनी ही बताती है इसलिए आपको कम से कम एक लॉट लेना पड़ता है

क्या आईपीओ में पैसे लगाने वाले कंपनी के मालिक बन जाते हैं

अगर आप किसी कंपनी के आईपीओ में पैसा लगाते हैं तब आप कंपनी के मालिक बनते हैं लेकिन आप उस कंपनी के पूरा मालिक नहीं बनते हैं जितना आप उस कंपनी में पैसा लगाते हैं आप उस कंपनी का उतना ही मालिक बनते हैं

जितना कि उस कंपनी का वैल्यू है इसलिए जो भी शेयर मार्केट में किसी कंपनी के शेयर खरीदा है तो उसे उस कंपनी का शेयर होल्डर भी कहा जाता है

IPO Kya Hai – अंतिम शब्द

IPO Kya Hai : इस Article के माध्यम से हमने आपको आईपीओ के बारे में पूरी जानकारी देने का प्रयास किए हैं कि आईपीओ क्या है? (IPO Kya Hai), IPO कैसे काम करता है और कंपनी आईपीओ क्यों निकालती है अगर आपको Article पसंद आया है तो इस आर्टिकल को आप अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें

IPO Kya Hai FAQ in Hindi

Q : आईपीओ क्या है?

Ans : जब भी शेयर मार्केट में कंपनी लिस्ट होती है तो वह कंपनी अपने कंपनी का वैल्यू के हिसाब से शेयर निकालते हैं ताकि पैसा पब्लिक भी उस कंपनी में पैसा इन्वेस्ट कर सकें

Q : शेयर बाजार में आईपीओ क्या है?

Ans : कोई भी कंपनी जब भी शेयर मार्केट में लिस्ट होती है तब उस लिस्ट को आईपीओ का आ जाता है

Q : आईपीओ लेने से क्या फायदा होता है?

Ans : IPO लेने से यह फायदा होता है कि अगर कोई भी अच्छा कंपनी का IPO आता है तो वह बहुत सारे लोग उस कंपनी के शेयर खरीदने के लिए लग जाते हैं लेकिन ज्यादा शेयर नहीं होने के कारण सभी लोगों को नहीं मिल पाता है इसलिए उस कंपनी के शेयर के दाम बढ़ जाते हैं और 1 से 2 दिन में ही आपको बहुत ज्यादा कमाई हो जाती है

Q : आईपीओ कौन खरीद सकता है?

Ans : आईपीओ कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है लेकिन जिस व्यक्ति के पास है डिमैट अकाउंट है वही व्यक्ति आईपीओ खरीद सकता है या आईपीओ में पैसा लगा सकता है

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