कंप्यूटर का इतिहास | History of Computer in Hindi

कंप्यूटर का इतिहास इन हिंदी (History of Computer in Hindi) : दोस्तों अगर आप जानना चाहते हैं कि आप कंप्यूटर का इतिहास क्या है? और कंप्यूटर इस दुनिया में कब आया तो इस आर्टिकल में आपको पूरी जानकारी मिलेंगे के इतिहास के बारे में

Computer शब्द से आज पूरी दुनिया परिचित है। आजकल करीब-करीब हर वह काम Computer के ज़रिये होने लगा है जो मानव-मस्तिष्क कर सकता है। वहीं Artificial intelligence यानी Ai और रोबोटिक्स के विकास से Computer तकनीकी में चार चांद लग गये हैं। कुल मिलाकर देखें तो साफ है कि कंप्यूटर के बिना आज की दुनिया की कल्पना ही नहीं की जा सकती। लेकिन इसका भी अपना एक विकास-क्रम और इतिहास रहा है।

कंप्यूटर का उपयोग सर्वप्रथम

कंप्यूटर शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सन् 1613 में एक अंग्रेज लेखक रिचर्ड ब्रेथवेट ने अपनी किताब ‘द यंगमैन ग्लीनिंग्स’ में किया। उन्होंने कंप्यूटर को धरती पर मौजूद सबसे बड़ा गणितज्ञ कहा। इस तरह कंप्यूटर को शुरू में गणना करने वाले एक यंत्र के तौर पर देखा गया। इसीलिये कंप्यूटर को हिंदी में संगणक भी कहते हैं। इसके अलावा इसे अभिकलित्र, अभिकलक अथवा परिकलक यंत्र भी कहा जाता है।

एक कंप्यूटर विभिन्न गणितीय व तार्किक क्रियाएं पूरी सटीकता के साथ स्वचालित रूप से करता है जिसके लिये इसे पहले ही क्रमबद्ध तरीके से निर्देशित किया गया होता है। यानी कंप्यूटर को उसकी तमाम तार्किक अभिक्रियाओं हेतु पूर्व में ही निर्देशित करना संभव है, और इसे ही ‘कंप्यूटर-प्रोग्रामिंग’ कहा जाता है। कंप्यूटर-प्रोग्रामिंग की भाषा के द्वारा ही वह हमारे निर्देशों को समझता है।

आज हम मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप के रूप में भी कंप्यूटर का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन शुरुआती दौर में एक संगणक का आकार एक कमरे के बराबर होता था। हालांकि तब इसकी सामर्थ्य आज की तुलना में बहुत कम थी और इसमें बिजली की खपत भी काफी ज्यादा होती थी।

जबकि आजकल कंप्यूटर के मुकाबले काफी छोटे पर उनसे करोड़ों गुना अधिक सक्षम हैं, और ये पुराने जमाने के कंप्यूटरों की अपेक्षा बिजली भी बहुत कम खाते हैं। सामान्यतः आधुनिक कंप्यूटरों में उसके विभिन्न कार्यों के संचालन के लिये एक सीपीयू यानी केंद्रीय संचालन इकाई और सूचनायें संग्रह करने को मेमोरी अथवा स्मृति होती है।

पहली सदी का कंप्यूटर

इस तरह देखा जाए तो कंप्यूटर या गणना में इस्तेमाल होने वाले यंत्रों का इतिहास काफी पुराना है। इसमें इशांगो की हड्डी को सबसे प्राचीन गणना-यंत्र माना जाता है जो अनुमानतः पहली सदी में ही आ चुका था। यह करीब दस सेंटीमीटर लंबी घुमावदार हड्डी सन् 1950 में बेल्जियम के जीन डे हेनजे़लिन डी ब्रुकोट द्वारा सेमलिकी नदी के इशांगो नामक क्षेत्र में खोजी गई।

अंगुलियों से गणना करने पर आधारित सबसे प्राचीन यंत्रों में मिलान छड़ी भी शामिल है। जिस पर गिनती के दांत खुदे होते थे। इसके बाद, मध्य पूर्व के एक अर्द्धचंद्राकार भौगोलिक भू-क्षेत्र में अभिलेखों को रखने के लिये ‘कॅल्क्यूली’ यानी मिट्टी के गोले और शंकुओं का उपयोग होता रहा। जिनका इस्तेमाल अनाज व पशुओं आदि की गणना में किया जाता था। इसके अलावा गिनती की छड़ें और गिनतारे भी प्रचलन में रहे हैं।

इसी कड़ी में गिनतारों का इस्तेमाल लगभग 2400 ईसापूर्व बेबीलोनिया में शुरू हुआ। जिसे आज हम ‘रोमन गिनतारा’ कहते हैं। इसके अलावा मध्य काल में गणना-घर भी होते थे। जहां मेज पर एक चितकबरा कपड़ा रखा होता था, जिस पर मोहरों को कुछ निश्चित नियमों के तहत चलाकर मुद्रा आदि की गिनती हुआ करती थी।

आगे 150-100 ईसापूर्व के दौरान यूनानी क्षेत्र में ‘एंटीकाईथेरा’ प्रक्रिया के अनुसार संचालित
दुनिया के सबसे पुराने रेखीय संगणक यानी कंप्यूटर वज़ूद में आये। इसको ज़्यादातर खगोलीय गणना करने के लिये प्रयोग किया जाता था। कहा जाता है कि एंटीकाइथेरा जैसी जटिल प्रक्रिया वाले यंत्र आने वाले हजार वर्षों बाद भी आने मुश्किल हैं। इस तरह प्राचीन व मध्य काल के दौरान भी खगोलीय गणना हेतु तमाम एनालॉग कंप्यूटर विकसित किये गये।

एनालॉग उन पुराने व अव्यावहारिक हो चुके कंप्यूटरों को कहते हैं जो कि सिर्फ भौतिक मात्राओं की गणना कर सकते हैं, जैसे– एमीटर, वोल्टमीटर आदि। अगली पीढ़ी के डिजिटल कंप्यूटर ऐसे कंप्यूटरों को कहते हैं जो अंकों के संदर्भ में डाटा-संग्रह करते हैं, और चरणबद्ध रूप से प्रोसेस करते हैं। फिर हाइब्रिड कंप्यूटर आते हैं, जिसमें इन दोनों की खूबियों को समाहित कर लिया गया।

कंप्यूटर तकनीक में वृद्धि

इस तरह देखा जाए तो कंप्यूटर नामक इस बिजली से चलने वाले संगणक यंत्र का विकास क्रम पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही रहा है। जिसकी हर पीढ़ी कुछ न कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी विकास को दर्शाती है। इस ऐतिहासिक विकास यात्रा में कंप्यूटर समय के साथ कम खर्चीला, छोटा और काफी सक्षम होता गया। इसके समेकित परिणामस्वरूप आज कंप्यूटर तकनीकी इतनी व्यापक और समावेशी हो चुकी है।

कंप्यूटर का इतिहास जानने के लिये बेहतर होगा कि इस विकास-क्रम की सारिणी पर एक सरसरी नज़र डाली जाए।

कंप्यूटर का विकास कैसे हुआ

  • 3000 ईसापूर्व बेबीलोनिया में ओबेकस का आविष्कार किया गया। जिससे आगे कंप्यूटर तकनीकी विकसित हो सके
  • 1800 ईसापूर्व बेबीलोनिया में ही एल्गोरिथम आविष्कार किया गया
  • 1000 ईसापूर्व ऑरलेक के पोप द्वारा एक नया अबेकस बनाया गया
  • 500 ईसापूर्व मिस्रवासियों ने गणितीय समस्याओं के हल के लिये मणिका और तार अबेकस बनाया,
  • 200 ईसापूर्व जापानी ‘कंप्यूटिंग ट्रे’ वजूद में आया
  • 1617 ई. में स्कॉटलैंड के जॉन नेपियर ने कैलकुलेटर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया
  • 1622 में विलियम आउटरेड ने स्लाइड रूल विकसित किया
  • 1624 ई. में हीडबर्ग यूनिवर्सिटी के विल्हेम सिकार्ड ने चार तरह के टास्क वाली पहली कैलकुलेटर घड़ी ईजाद की
  • 1642 ई. में फ्रांस के ब्लेज़ पास्कल द्वारा पहली डिजिटल कंप्यूटर प्रणाली का आविष्कार किया गया।

निश्चित रूप से यहां कंप्यूटर तकनीकी के विकास की वह ऐतिहासिक यात्रा समाप्त नहीं हो जाती, लेकिन एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर अवश्य पहुंच जाती हैं। हम देख सकते हैं कि वस्तुत: कंप्यूटर का आविष्कार आज से दो-तीन हजार साल पहले ही हो चुका था। इसकी असल शुरुआत अबेकस से हुई। यह लकड़ी का एक रैकनुमा ढांचा होता है जिसमें एक-दूसरे के समानांतर दो तार लगे होते हैं। इन तारों पर लगे मणिका को घुमाकर कुछ आसान गणितीय सवाल हल किये जा सकते थे।

दुनिया का पहला डिजिटल कंप्यूटर – History of Computer in Hindi

History of Computer in Hindi – अब तक हमने देखा, कि दुनिया का पहला डिजिटल कंप्यूटर ब्लेज़ पास्कल द्वारा बनाया गया। जिसमें लगे अंकों को डायल करना होता था। पर इससे सिर्फ जोड़ने का काम ही हो सकता था। आगे 1671 से 1694 ई. के दौरान एक संगणक विकसित किया गया, जिसका श्रेय जाता है गॉटफ्राइड विल्हेम वॉन लीबनिज को।

जिन्होंने स्टेप्स गियर सिस्टम ईजाद किया, जो आज तक इस्तेमाल में है। आगे साल दर साल कंप्यूटर तकनीकी में इसी तरह से बदलाव आता गया। इस विकास क्रम में एक क्रांतिकारी बदलाव आया जब 1780 में बेंजामिन फ्रैंकलिन ने बिजली की खोज की।

चार्ल्स वैबेज नामक एक अंग्रेज गणितज्ञ सन् 1800 ई. में यह मानने लगे थे कि वे कंप्यूटर जैसी कोई चीज बना सकते हैं। 1827 तक वो डिफरेंस इंजन पर काफी काम कर चुके थे। एक ऐसा यंत्र जो टेबल बनाने में काम आता है। लेकिन बाद में उन्होंने इसके कुछेक हिस्सों के प्रोटोटाइप बना लेने के बावजूद इस परियोजना को छोड़ दिया। फिर उन्होंने 1854 में एक एनालिटिकल इंजन बनाने का अधूरा ख्वाब भी देखा और फिर उसने एक कंप्यूटर बनाकर इतिहास रच दिया इस लिये उन्हें ‘फादर ऑफ कंप्यूटर‘ कहा जाता है।

डिजिटल कंप्यूटर का इतिहास

कंप्यूटर तकनीक की आगे की विकास यात्रा का विवरण संक्षेप में कुछ इस तरह से है–

  • 1876 ई. में ग्राहम बेल द्वारा टेलीफोन का आविष्कार किया गया
  • 1886 ई. में विलियम बरौग ने व्यावसायिक यांत्रिक गणना करने वाली एक मशीन ईजाद की
  • 1889 में हॉलरीथ टेबुलेटिंग मशीन का पेटेंट हुआ
  • 1896 में हॉलरीथ टेबुलेटिंग मशीन से ही छंटनी करने वाली मशीन भी निकली
  • 1911 में कंप्यूटर टेबुलेटिंग रेकॉर्डिंग कंपनी वजूद में आई जो कंप्यूटिंग स्केल कंपनी और इंटरनेशनल टाइम रिकॉर्डिंग कंपनी के विलय से संभव हुआ
  • 1921 ई. में केरेल चेपक ने रोसम यूनिवर्सल रोबोटिक्स का इस्तेमाल किया
  • 1925 में लार्ज-स्केल एनालॉग कंप्यूटर बनाया गया
  • 1927 ई. में लंदन और न्यूयॉर्क के मध्य सर्वप्रथम सार्वजनिक रेडियो फोन सेवा शुरू हुई
  • 1931 में जर्मनी के कोनार्ड ज्यूस द्वारा पहले कैलकुलेटर का निर्माण किया गया
  • 1936 में एलेन एम टर्निंग ने गणना लायक किसी काम के संगणन में सक्षम एक मशीन बनाई
  • 1937 ई. में ज्यॉर्ज स्टिव्स द्वारा पहला द्विघाती कैलकुलेटर बनाया गया
  • 1938 में ह्वैलेड पैकर्ड नामक कंपनी द्वारा एक महत्वपूर्ण विद्युत उपकरण निर्मित किया गया
  • 1940 में टीवी पर रंगीन प्रसारण आने लगा; और इसी साल बेल लैबोरेटरी ने पहला टर्मिनल बनाकर सुदूर प्रसंस्करण के प्रयोग शुरू किये

कंप्यूटर का इतिहास और विकास कैसे हुआ

कंप्यूटर तकनीक के विकास में आधुनिक युग की इस पहली पीढ़ी में, यानी 1940 से लेकर अगले दो दशकों तक, वैक्यूम ट्यूब्स का इस्तेमाल किया जाता था। इस दौरान मेमोरी के लिये चुंबकीय व परिपथीय ड्रम का इस्तेमाल किया जाता था। जिससे ये कंप्यूटर इस्तेमाल में काफी महंगे, बड़े और जगह घेरने वाले होते थे। ये बहुत बिजली की खपत करते और बड़ी गर्मी पैदा करते। इस दौर के कंप्यूटर मशीन की भाषा पर काम करते थे।

ये एक समय में एक ही समस्या हल कर सकते थे। इनमें ‘आउटपुट’ बस प्रिंट-आउट पर ही देखे जा सकते थे। जबकि इनपुट पंच्ड कार्ड्स और पेपर-टेप पर आधारित था। इस पीढ़ी के कंप्यूटर की सबसे अच्छी मिसाल है– यूनीवैक। यानी यूनिवर्सल आटोमैटिक कंप्यूटर, जो सन् 1951 में अमेरिकी जनगणना ब्यूरो को दिया गया। दूसरी तरफ, इसी साल संयुक्त कंप्यूटर सम्मेलन भी आयोजित किया गया। कंप्यूटर तकनीक के विकास की इस ऐतिहासिक यात्रा में अगली पीढ़ी का समय 1956 से अगले करीब एक दशक तक माना जाता है। जब ट्रांजिस्टर का प्रयोग शुरू किया गया। हालांकि इसका आविष्कार 1947 में ही हो गया था

पर व्यापक इस्तेमाल बाद में शुरू हुआ। 1958 में जापान में पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर एन.ई.सी.–1101 व 1102 बनाया गया। इसी वर्ष डिजिटल इक्विपमेंट कंपनी ने मिनी कंप्यूटर– पीडीपी-8 बनाया। इस पीढ़ी के कंप्यूटर पहले की अपेक्षा छोटे, सस्ते और स्मार्ट भी हो गये।

लेकिन इनका भी इनपुट पंच्ड कार्ड्स और आउटपुट प्रिंट आउट के जरिये ही संभव था। इसके अलावा ये गर्मी भी काफी अधिक पैदा करते थे। कंप्यूटर तकनीक के विकास की अगली पीढ़ी 1971 तक मानी जाती है। इस दौरान एकीकृत परिपथों का इस्तेमाल शुरू किया गया। ट्रांजिस्टर को छोटा आकार देकर और सिलिकॉन चिप पर लगाकर ‘सेमीकंडक्टर’ बनाया गया जिससे कंप्यूटर की कार्यक्षमता कई गुना बढ़ गई।

पंच कार्ड्स और प्रिंट आउट की जगह की-बोर्ड और मॉनीटर ने ली। इस पीढ़ी में लोग एक ऑपरेटिंग सिस्टम से भी परिचित हुए। कंप्यूटर का इस्तेमाल व्यापक स्तर पर होने लगा। इसके बाद इंटीग्रेटेड सर्किट व माइक्रोप्रोसेसर का युग आया। कंप्यूटर अब हथेली में आ सकते थे। 1971 में खोजी गई इंटेल-4004 चिप में एक कंप्यूटर के बारे महत्वपूर्ण घटक मौजूद थे।

आगे 1981 में आईबीएम घरेलू उपयोग का पहला कंप्यूटर लेकर आई। 1983 में अमेरिका में कंप्यूटरों की संख्या करोड़ों में पहुंच गई, जो 1980 में केवल दस लाख के आसपास थी। 1984 में कंप्यूटर तकनीक को आगे बढ़ाते हुए एप्पल द्वारा ‘मैकिंटोश’ बनाया गया। आज रोजमर्रा के कामों में इस्तेमाल होने वाले तमाम उपकरणों में माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग होता है।

आज की पीढ़ी के कंप्यूटर उपकरणों में Artificial intelligence का इस्तेमाल होने लगा है। सुपर कंडक्टर और पैरेलल प्रोसेसिंग भी इसमें अहम भूमिका निभाते हैं। आजकल की क्वांटम, मॉलिक्यूलर और नैनोटेक्नोलॉजी में कंप्यूटर तकनीकी का चेहरा बदलने की क्षमता है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के लिये अब आगे का लक्ष्य ऐसे कंप्यूटरों का विकास करना है जो प्राकृतिक भाषा इनपुट से संचालित हो सकें; साथ ही जो सेल्फ-ऑर्गेनाइज़ेशन में सक्षम और यूज़र-फ्रैंडली भी हों।

अंतिम शब्द

दोस्तों दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको कंप्यूटर का इतिहास क्या है? और कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया इसके बारे में पूरी जानकारी दे दिए हैं फिर भी किसी भी तरह का सब आपके मन में है तो आप से पूछ सकते हैं

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