Diode kya hai : दोस्तों क्या आप Diode के बारे में जानना चाहते हैं और आप Google पर Search कर रहे हैं कि डायोड क्या है? (Diode kya hai?), डायोड की परिभाषा क्या है?, डायोड क्या है इसका क्या उपयोग है?, डायोड कितने प्रकार के होते हैं?, डायोड कैसे काम करता है?
इसके बारे में हमने आपको पूरा जानकारी इस Article के माध्यम से दिए हैं अगर आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ लेते हैं तब आपको समझ में आ जाएगा डायोड (Diode) के बारे में कि डायोड क्या है? (Diode kya hai?) तो चलिए जानते हैं इस आर्टिकल के माध्यम से डायोड के बारे में पूरी जानकारी दोस्तों अगर आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ लेते हैं तब आपको कोई भी पोस्ट और पढ़ने की जरूरत नहीं है और ना ही वीडियो देखने की जरूरत है आपको पूरी जानकारी मिल जाएगा डायोड के बारे में
डायोड की परिभाषा क्या है? |
Diode kya hai? : क्या आप जानते हैं की डायोड क्या है? यदि आप किसी इलेक्ट्रॉनिक दुकान में गए होंगे तब आपने शायद से छोटे आकारों के सेमी कंडक्टरों (semiconductor) को जरूर देखा होगा। वैसे आपकी जनकारी के लिए बता दूँ की ये डायोड बहुत ही साधारण two-terminal unilateral semiconductor device होते हैं।
ये डायोड डिवाइस किसी इलेक्ट्रिकल सर्किट के ‘one way‘ sign होते हैं। इन डायोड डिवाइसों में इलेक्ट्रिक करंट केवल एक ही डायरेक्शन में फ्लो होता है। प्रत्येक डायोड के अंदर एक ही पॉजिटिव पॉइंट होता है जिसे एनोड (anode) के नाम से जाना जाता है
हुए निगेटिव एन्ड को कैथोड (Cathode) के नाम से जाना जाता है। डायोड के अंदर करंट हमेशा एनोड की ओर से कैथोड की ओर फ्लो होता है। इन डायोड्स के अपनी विशेषताएं हैं और आज इस लेख में हम आपको डायोड से सम्बंधित पूरी जानकारी आपको देंगे।
डायोड क्या है? (Diode kya hai?)
Diode kya hai : डायोड एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट होता है जो करंट को सिर्फ एक ही दिशा में फ्लो होने की अनुमति देता है , डायोड के अंदर दो तरह के इलेक्ट्रोड होते हैं – एनोड (anode) और कैथोड (cathode) । डायोड के अंदर जो सिल्वर कलर की लाइन होती है उस तरफ का इलेक्ट्रोड कैथोड होता है वहीं जिस तरफ का शिरा नुकीला होता है उस तरफ डायोड के अंदर एनोड स्थित होता है।
क्या आप जानते हैं की एक डायोड क्या काम करता है? डायोड दिखने में भले ही छोटा होता है लेकिन इसके काम बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। डायोड का इस्तेमाल रेक्टिफायर, सिग्नल लिमिटर्स, वोल्टेज रेगुलेटर, सिग्नल मॉड्यूलेटर, सिग्नल मिक्सर में किया जाता है।
जब डायोड के कैथोड टर्मिनल को निगेटिव वोल्टेज और एनोड टर्मिनल को पॉजिटिव पॉजिटिव वोल्टेज के साथ जोड़ देते हैं तो करंट का प्रवाह होने लगता है और करंट के फ्लो होने की इसी प्रक्रिया को फोरवर्ड बायसिंग (forward biasing) के नाम से जाना जाता है।
डायोड कितने प्रकार के होते हैं? (Types of Diode)
डायोड कितने प्रकार के होते हैं? : डायोड को उसके काम के आधार पर अलग अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है। सभी डायोड का काम अलग अलग होता है और इनके काम करने का तरीका भी एक दूसरे से पूरी तरह से भिन्न होता है। कुछ डायोड ऐसे हैं जिनके ऊपर जब करंट का प्रवाह किया जाता है तो वह लाइट जलाकर संकेत देते हैं।
डायोड में धातु का इस्तेमाल होने की वजह से इसके अंदर उच्च धारा का प्रवाह किया जाता है। उच्च विद्युत धारा के प्रवाह के कारण इसके अंदर स्विचिंग टाइम बहुत कम हो जाता है। इसका एक दूसरा कारण यह भी है की डायोड के अंदर सेमी कंडक्टर और धातु का इस्तेमाल होता है
जिसकी वजह से इसके अंदर बहुत ही कम मात्रा में वोल्टेज का रुकाव होता है और डायोड की परफॉर्मेंस भी पहले से ज्यादा बढ़ जाती है। अच्छी परफॉर्मेंस होने की वजह से ही डायोड का इस्तेमाल हाई फ्रीक्वेंसी वाले रेक्टिफायर और मॉड्यूलर में किया जाता है।
1. ज़ेनर डायोड (Zener Diode)
ज़ेनर डायोड (Zener Diode) की संरचना बहुत ही साधारण तरीके की होती है और ज़ेनर डायोड (Zener Diode) भी एक साधारण डायोड की तरह ही विद्युत् धारा का प्रवाह एक शिरे से दूसरी शिरे की ओर करता है। लेकिन हाई वोल्टेज हो जाने के बाद ज़ेनर डायोड (Zener Diode) के अंदर से करंट का प्रवाह उल्टी दिशा की ओर होने लगता है।
2. लाइट एमिटिंग डायोड (Light Emitting Diode (LED))
लाइट एमिटिंग डायोड (LED) एक सेमीकंडक्टर डिवाइस है जो इलेक्ट्रिकल एनर्जी को लाइट एनर्जी में बदलने का काम करता है। जब लाइट एमिटिंग डायोड (LED) को वोल्टेज के साथ जोड़ा जाता है तो इलेक्ट्रोल्यूमिनिसेंस (electroluminescence) की प्रक्रिया के कारण होल्स (Holes) और इलेक्ट्रॉन्स (Electrons) आपस में दोबारा जुड़कर लाइट की फॉर्म में एनर्जी का निर्माण करते हैं।
लाइट एमिटिंग डायोड (LED) , डायोड फॉरवर्ड बायस (Diode Forward Bias) की स्थिति में काम करता है।
शुरूआती दिनों में लाइट एमिटिंग डायोड (LED) का इस्तेमाल इंडक्टर लैम्प के अंदर किया जाता था। लेकिन अब लाइट एमिटिंग डायोड (LED) का इस्तेमाल बड़े पैमानों में होने लगा है , अब इस डायोड का इस्तेमाल ट्रैफिक सिग्नल , बड़े कैमरों , कैमरों की फ्लैश लाइट में किया जाता है।
3. कांस्टेंट करेंट डायोड (Constant Current Diodes)
बहुत से डायोड वोल्टेज को बढ़ाने के लिए उपयोग किये जाते हैं लेकिन Constant Current Diodes का इस्तेमाल कारन के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है। यह डायोड करंट की कुछ मात्रा को ही आगे जाने देता है बाकि करंट को यह अपने तक में सीमित कर देता है। इस डायोड के इसी गुण की वजह से ही इसे Constant Current Diodes का नाम दिया गया है।
4. शोट्की डायोड (Schottky Diode)
शोट्की डायोड (Schottky Diode) का निर्माण सेमीकंडकर मटेरियल और धातु से होता है। शोट्की डायोड (Schottky Diode) के अंदर वोल्टेज की बहुत कम मात्रा ड्राप होती है और इस डायोड के अंदर स्विचिंग का काम भी बहुत तेज़ी के साथ होता है।
5. शॉक्ले डायोड (Shockley Diode)
शॉक्ले डायोड (Shockley Diode) , PNPN लेयर वाला पहला सेमीकंडक्टर डायोड था। शॉक्ले डायोड (Shockley Diode) का अविष्कार 1950 में विलियम शॉक्ले के द्वारा किया गया था जिसकी वजह से इस डायोड का पूरा नाम William Shockley Diode पड़ा था।
6. फोटोडायोड (Photodiode)
फोटोडायोड (Photodiode) एक रिवर्स बायस डायोड है , फोटोडायोड (Photodiode) सभी डायोड की तरह ही नार्मल कंडीशन में करंट का प्रवाह नहीं होने देता है। जब इस डायोड के अंदर कोई लाइट पड़ती है तो यह करंट को आसानी से फ्लो होने देता है। फोटोडायोड (Photodiode) एक तरह से लाइट डिटेक्टर का काम करता है। फोटोडायोड (Photodiode) की कार्य प्रणाली लाइट एमिटिंग डायोड (LED) से पूरी तरह से भिन्न होती है।
7. टनल डायोड (tunnel diode)
टनल डायोड (tunnel diode) का इस्तेमाल वोल्टेज को बहुत तेज़ी के साथ स्विच करने के लिए किया जाता है। जहाँ पर नैनो सेकण्ड के अंदर स्विच करने की स्थिति उत्पन्न होती है उस जगह पर टनल डायोड (tunnel diode) का इस्तेमाल किया जाता है। टनल डायोड (tunnel diode) का अविष्कार अगस्त 1957 में लियो एसाकी (Leo Esaki) के द्वारा किया गया था जिसकी वजह से इसे एसाकी डायोड (Esaki diode) के नाम से भी जाना जाता है।
8. वैराक्टर डायोड (Varactor Diode)
वैराक्टर डायोड (Varactor Diode) एक वैरिएबल कैपेसिटर (Variable Capacitor) की भांति काम काम करता है। यह डायोड , रिवर्स बायस की स्थिति में अपना काम करता है। इस वैराक्टर डायोड (Varactor Diode) का मुख्य काम किसी सर्किट के अंदर वोल्टेज की कैपेसिटी को बढ़ाना है। इसका उपयोग निम्न अनुप्रयोगों में किया जाता है – सेल फोन , सैटेलाइट , रेफ्रिजरेटर , प्री फिल्टर्स आदि।
9. लेजर डायोड (laser diode)
लेजर डायोड (laser diode) एक ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक (optoelectronics) डिवाइस का प्रकार है।
लेजर डायोड (laser diode) को LD और इंजेकशन लेजर डायोड के नाम से जाना जाता है। यह डायोड एक लाइट एमिटिंग डायोड (LED) की तरह ही काम करता है लेकिन यह लाइट की जगह एक लेज़र बीम का निर्माण करता है। माजूदा समय में लेजर डायोड (laser diode) का इस्तेमाल फाइबर ऑप्टिक कम्प्यूनिकेशन , बारकोड स्कैनर , लेजर पॉइंटर्स , सभी प्रकार के डिस्क रीडर जैसे मॉर्डन टेक्नोलॉजी में इस्तेमाल किया जाता है।
लेजर डायोड के प्रकार (Type of laser diode)
- Double Heterostructure Laser
- Quantum Well Lasers
- Separate Confinement Heterostructure Lasers
- Quantum Cascade Lasers
- Distributed Bragg Reflector Lasers
डायोड कैसे काम करता है?(Work method of diode work)
Rectification : Rec एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है को की ए. सी. करंट को डी. सी. करंट में बदलने का काम करती है। किसी भी विद्युत् धारा को ए. सी. से डी. सी. में बदलने के लिए Rectification का इस्तमाल किया जाता है। किसी भी विद्युत् धारा को ए. सी. से डी. सी. में बदलने के लिए निम्न Rectification का उपयोग किया जाता है
- Half Wave Rectifier
- Full Wave Rectifier
- Bridge Rectifier
- Three Phase Rectifier
1. Half Wave Rectifier
Half Wave Rectifier का इस्तेमाल किसी भी ए. सी. सर्किट के पॉजिटिव और निगेटिव पॉइंट्स को रेक्टिफाई करने में होता है।
2. Full Wave Rectifier
Full Wave Rectifier का इस्तेमाल किसी भी सर्किट के ए. सी. करंट को डी. सी. करंट में बदलने में किया जाता है।
3. Bridge Rectifier
Bridge Rectifier का इस्तेमाल किसी भी सर्किट के ए. सी. करंट को डी. सी. करंट और डी. सी. करंट को ए. सी. करंट में बदलने में किया जाता है।
4. Three Phase Rectifier
Three Phase Rectifier को क्लिपर डायोड के नाम से जाना जाता है।
क्लिपर डायोड का इस्तेमाल किसी धनात्मक शिरे के कुछ पोर्शन को क्लिप ऑफ़ करने के लिए किया जाता है।
डायोड का उपयोग (use of diodes)
- इसका उपयोग अल्टरनेट करंट को डायरेक्ट करंट में बदलने के लिए किया जाता है।
- तापमान मापने में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
- रेडियो डिमोड्यूलेशन में भी डायोड का इस्तेमाल किया जाता है।
- सर्किट के अंदर बह रहे करंट की दिशा मोड़ने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
- ओवर वोल्टेज प्रोटेक्शन में भी डायोड की बहुत अहम भूमिका रहती है।
- वोल्टेज रेग्यूलेटर और सिग्लन मिक्सिंग में इसका उपयोग किया जा सकता है।
डायोड को चेक कैसे कर सकते हैं (How to Check diode)
नीचे आपको डायोड को मल्टीमीटर से मापने के तरीके बताये गए हैं
Step 1 :- सबसे पहले यह बात ध्यान में रखें की जिस सर्किट के अंदर डायोड लगा हुआ है उसकी पावर सप्लाई ऑफ़ होनी चाहिए और डायोड के अंदर उपस्थित दोनों टर्मिनल के अंदर भी किसी प्रकार का वोल्टेज न हो। अगर सर्किट के अंदर किसी भी प्रकार का चार्जड कैपेसिटर लगा हो तो उसको डिस्चार्ज करने की कोशिश करें।
Step 2 :- अब मल्टीमीटर को डायोड के मोड में सेट कर लें
Step 3 :- अब मल्टीमीटर के पॉजिटिव साइड को डायोड के एनोड और निगेटिव साइड को डायोड के कैथोड से जोड़ दें। अगर डायोड के अंदर सिलिकॉन स्थित है तो मल्टीमीटर में 0.5 से लेकर 0.7 वोल्टस की रीडिंग होनी चाहिए , वहीँ अगर डायोड के अंदर जर्मेनियम डायोड स्थित है तो मीटर की रीडिंग 0.2 से 0.3 वोल्टस होनी चाहिए।
Step 4 :- अब मल्टीमीटर के शिरों को बदल दें , मतलब की पॉजिटिव पॉइंट को कैथोड से और निगेटिव पॉइंट को एनोड से जोड़ दें। अगर डायोड की स्थिति ठीक है तो रीडिंग में OL दिखायेगा।
आज आपने क्या सीखा – डायोड क्या है?
दोस्तों हमने आपको इस Article के माध्यम से पूरी जानकारी दे दिए हैं कि डायोड क्या है? (What is Diode in Hindi), Diode कैसे काम करता है अगर आपको Diode के बारे में पूरी जानकारी मिल गया है तो आप कमेंट में जरूर बताएं और आपको यह आर्टिकल कैसा लगा कमेंट में फीडबैक जरूर दें और इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें
Diode kya hai FAQ
Q : डायोड क्या है?
Ans : डायोड ए के इलेक्ट्रॉनिक पाठ है जो कि काफी महत्वपूर्ण है जो भी करंट पास होता है उसको उसी दिशा में अनुमति देता है कि वह करंट उसी दिशा में चलता रहे करंट वापस नहीं आए
Q : डायोड की परिभाषा क्या है?
Ans : डायोड एक विद्युत घटक है जो कि सिर्फ धारा को धारा की दिशा में धारा को प्रवाहित होने का अनुमति देता है
Q : डायोड क्या है इसका क्या उपयोग है?
Ans : डायोड एक इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट है जो की करंट को किसी एक दिशा में जाने की अनुमति देता है
Q : डायोड कितने प्रकार के होते हैं?
Ans : डायोड मुख्य रूप से 9 प्रकार के होते हैं
Q : डायोड कैसे काम करता है?
Ans : डायोड इसलिए इस्तेमाल किया जाता है ताकि करंट किसी एक तरफ से चले ना कि दोनों तरफ से