ज्ञान क्या है? (Gyan kya hai) ज्ञान कैसे प्राप्त करें?

दोस्तों क्या आप जानते हैं कि ज्ञान क्या है?, (Gyan kya hai) और ज्ञान का परिभाषा क्या है?, तो इस आर्टिकल में हम आपको जान के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं ज्ञान का स्वरूप क्या है?, ज्ञान क्या है ज्ञान के प्रकार? इन सारे चीजों का जानकारी देने वाले हैं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें

आज के इस आर्टिकल में हम आपको ज्ञान शब्द से रूबरू कराएँगे। ज्ञान क्या है? ज्ञान सब्जेक्टिव है या ऑब्जेक्टिव, ज्ञान क्या है? या विशेषण। ज्ञान का स्वरुप क्या है। ज्ञान कहाँ से प्राप्त होता है, हमारे जीवन में ज्ञान की क्या उपयोगिता है।  आपके इन सवालों का जवाब नहीं पता है तो आपको परेशान होने की कोई जरुरत नहीं हैं हम आपको आज ज्ञान से जुडी हुई सभी जानकारियों को देने की कोशिश करेंगे।

ज्ञान क्या है? (Gyan kya hai)

जब हमारे मस्तिष्क में किसी नई प्रकार की चेतना का अनुभव होता है। तब हमारा दिमाग अपनी कौशल से उस चेतना को अमल करने की कोशिश करता है। उसी कौशल को हम ज्ञान का नाम देते हैं।

ज्ञान की परिभाषा क्या है?

प्लूटो के अनुसार ” विचारों को दैवीय व्यवस्था और आत्मा परमात्मा के स्वरुप को अच्छे से जानना ही सच्चा ज्ञान है।” प्लुटो की इस अवधारणा के बाद विद्वानों ने इस परिभाषा की समीक्षा की और बताया की ‘अनुभव के अंदर संदेह अस्पष्टता और अनिश्चितिता का मिला जुला रेस्पोंस रहता है।

अनुभव में से ज्ञान को पृथक करने के लिए कुछ कसौटियां बनाई गयी जिन पर परखने के बाद अनुभव को अपने ज्ञान रूप में स्वीकार किया जा सकता है।’ हमें निरंतर रूप से अनुभव होते हैं इन्हे ही चेतना का स्वरुप माना जाता है।

शंकर के अनुसार  “ब्रम्ह के सत्य को जान लेना ही ज्ञान है। वस्तु जगत को सत्य जानना अज्ञानता का प्रतीक है।” अर्थात जब कोई इंसान ब्रम्ह के रूप को जान लेता है तो उसे ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। इसके विपरीत अगर कोई इंसान किसी वास्तु को ही सत्य मान लेता है तो उसे ही अज्ञानता का प्रतीक माना जाता है।

बौद्ध दर्शन के अनुसार “ज्ञान वह है जो मनुष्य को सभी प्रकार के सांसारिक दुखों से छुटकारा दिलाने में मदद करे। “अर्थात ज्ञानी मनुष्य को सांसारिक मोहमाया से कोई मतलब नहीं होता है।

हॉब्स के अनुसार ” ज्ञान शक्ति है। “अर्थात अगर आपके पास ज्ञान की शक्ति है तो किसी भी बाहुबल को आप अपने ज्ञान से परास्त कर सकते हैं।

ज्ञान की उत्पत्ति

ज्ञान शब्द की उत्पत्ति ज्ञ धातु से हुई है जिसका अर्थ होता है अधिक से अधिक जानना। इसे हम अन्य रूपों जैसे बोध अनुभव एवं प्रकाश के नाम से भी जानते हैं। इसे हम उदाहरण के तौर पर कुछ ऐसे समझ सकते हैं की – जब हमें दूर कहीं पानी का आभास होता है और नजदीक जाने पर भी हमें पानी ही दीखता है तो ऐसी स्थिति में हम कह सकते हैं की अमुक जगह जाने के बाद हमें वास्तविक ज्ञान मिला।  

ज्ञान कितने प्रकार का होता है? (Types of gyan)

ज्ञान के मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है

1. प्रयोग मूलक ज्ञान (Practical Knowladge)

बहुत से लोगों की मान्यता है की ज्ञान को सिर्फ प्रैक्टिकल के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। जब आप किसी नई चीज़ को सीखने के लिए प्रयोग करते हैं तो आपको उस प्रयोग से बहुत से नए तरीके सीखने को मिलेंगे तो आपके ज्ञान की वृद्धि होगी।

2. परगनुभव ज्ञान (Preliminary knowledge)

 इस प्रकार का ज्ञान आपको प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए आप गणित का सहारा ले सकते हैं जब आप गणित के किसी एक प्रमेय को हल करते हैं तो वह कांसेप्ट आपको अच्छे से समझ आ जाता है और आप उस प्रमेय से सम्बंधित बहुत से प्रशनो को आसानी से हल कर सकते हैं। इसमें आपको उस प्रमेय का अच्छा सा ज्ञान हो जाता है। 

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ज्ञान के सम्बंधित स्त्रोत

हर एक चीज़ की कहीं न कहीं से प्राप्ति होती है तो नीचे आपको ज्ञान से सम्बंधित स्त्रोतों के बारे में बताएँगे।

1. प्रकृति (Nature)

प्रकृति ज्ञान का प्रमुख एवं प्रथम स्त्रोत है। प्रत्येक मनुष्य ज्ञान प्राप्त करता है जन्म से पूर्व एवं जन्म के बाद जैसे अभिमन्यु ने अपनी माँ के कोख से ही चक्रव्यूह को भेदने की कला सीख ली थी। प्रत्येक व्यक्ति अपनी योग्यता के अनुसार ही प्रकृति से सीख पता है। जैसे – फलदार वृक्ष सदैव झुके हुए होते हैं।

2. पुस्तकें (Books)

विद्वानों की मानें तो किताबें इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। किताबों से मिला हुआ ज्ञान हर एक मोड़ पर इंसानों के काम आता है। अच्छा ज्ञान पाने के लिए आपको किताबों से दोस्ती करना पड़ेगा आपको किताबों को ध्यान से पढ़ना पड़ेगा। तभी आप कुछ ज्ञान अर्जित कर पाओगे।

3. इन्द्रीय अनुभव (sense experience)

शारीरिक इन्द्रिय हमारे शरीर के अंदर संवेदना को पैदा करती हैं और हम उन्ही संवेदना के बल पर ज्ञान अर्जित करते हैं। जब हमारी इन्द्रियां कुछ भी इशारा करती हैं तो हमें ज्ञान की प्राप्ति है की इनके इशारे का मतलब का है। हमारे शरीर में पांच ज्ञानेन्द्रियाँ हैं – त्वचा , आँख , कान , नाक और जिव्हा।

4. साक्ष्य (Evidence)

जब हमारे आँखों के सामने कोई भी घटना घटित होती है तो आपको उस घटने से भी ज्ञान की प्राप्ति होती है। जैसे जब कोई भी इंसिडेंट हमारे सामने होता है तो वह घटना हूबहू हमारे जहन में अपना स्थान बना लेती है और भविष्य में ऐसी गलती न करने की सलाह देती है ये सब साक्ष्य के द्वारा मिले हुए ज्ञान के बल पर ही होता है।

5. तर्क बुद्धि ( Logic Intelligence )

ज्ञान की प्राप्ति के लिए आपकी तार्किक शक्ति का मजबूत होना आवश्यक है।  जब आपकी तार्कित शक्ति मजबूत होगी तो आप किसी भी विषय पर बोल सकते हैं, ऐसे में आपको ज्ञान की प्राप्ति तो होगी ही इसके साथ आप दूसरों को भी ज्ञान दे सकते हैं।

6. अंतर्ज्ञान (Intution)

इसका अर्थ होता है अपने आप में ही किसी भी तथ्य को प्राप्त कर लेना। जब आपको अपने अंदर ही किसी सवाल का आसान जवाब मिल जाता है ऐसी स्थिति को अंतर्ज्ञान कहते हैं।

7. अन्तः दृष्टि ज्ञान ( Knowledge through insight )

जब आपको किसी घटना के बाद ज्ञान की प्राप्ति होती है तो ऐसी स्थिति को अन्तः दृष्टि ज्ञान कहते हैं। उदाहरण के लिए महात्मा बुद्ध को बरगद के पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। ऐसी स्थिति में मनुष्य को सम्पूर्ण ज्ञान एक ही घटना के बाद मिल जाता है।

8. अनुकरणीय ज्ञान ( Exemplary knowledge )

जब कोई व्यक्ति अपने काम में परफेक्ट हो जाता है तो कुछ लोग उस व्यक्ति के चले हुए क़दमों में दूसरे लोग भी फॉलो करते हैं और खुद सफल हो जाते हैं। ऐसी स्थिति को ही अनुकरणीय ज्ञान कहते हैं।

9. जिज्ञासा ( Curiosity )

जिज्ञासा ही किसी भी ज्ञान को प्राप्त करने का सबसे मजबूत हथियार है। अगर किसी को भी ज्ञान अर्जित करना है तो उसे जिज्ञासु प्रवित्ति का होना पड़ेगा। जिज्ञासु व्यक्ति कभी भी अपने मिले हुए ज्ञान से संतुष्ट नहीं होता है वह हमेशा ही और अधिक ज्ञान पाने के लिए लालयित रहता है।

10.  अभ्यास (Practice)

जब आपको किसी भी चीज़ के बारे में ज्ञान प्राप्त करना है तो आप उस चीज़ को बार बार अभ्यास करके भी प्राप्त कर सकते हैं।

11. संवाद (Dialogue)

अगर आप किसी भी ग्यानी मनुष्य के साथ बातचीत करते हैं संवाद करते हैं तो उस बातचीत से भी बहुत कुछ नया सीखने को मिलेगा।

ज्ञान का महत्त्व (importance of gyan)

1. ज्ञान को मनुष्य की तीसरी आंख का दर्जा प्राप्त है।

2. ज्ञान भौतिक दुनिया और आध्यात्मिक दुनिया को समझने में मदद करता है।

3. ज्ञान से ही मानसिक , बौद्धिक , तार्किक और स्मृति निरिक्षण का अनुभव होता है।

4. ज्ञान समाज को सुधरने में अहम् भूमिका निभाता है।

5. ज्ञान शिक्षा प्राप्त करने में एक साधन की अहम भूमिका को अदा करता है।

6. ज्ञान अपने आपको जानने का एक मजबूत साधन है।

7. ज्ञान का प्रकाश सूर्य के रौशनी के सामान है , ज्ञानी मनुष्य हमेसा दूसरों को ज्ञानी बनाने के भूमिका में रहता है।

8. ज्ञान विश्व के रहस्य को सबके सामने उजागर करता है।

9. ज्ञान धन के सामान होता है जितना अधिक मिले कम ही लगता है।

10. ज्ञान सत्य तक पहुंचने का साधन है।

11. ज्ञान को शक्ति का स्वरुप माना गया है।

12. ज्ञान मानव को समस्त जीवों के साथ प्रेमपूर्वक रहने का मंत्र सिखाता है।

13. ज्ञान क्रमबद्ध तरीके से आता है आकस्मिक तरीके से ज्ञान को प्राप्त करने की कोशिश करना व्यर्थ है।

14. तथ्य और मूल्य ज्ञान के आधार पर ही काम करते हैं।

15. ज्ञान मानव को अन्धकार से उजियारे की ओर ले जाता है।

अंतिम शब्द

दोस्तों हमने आपको पूरी जानकारी देने का प्रयास किए हैं कि ज्ञान क्या है? (Gyan kya hai), ज्ञान कितने प्रकार के होते हैं? और ज्ञान का महत्व क्या है? अगर आपको ज्ञान क्या है या आर्टिकल पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें और ज्ञान क्या है या आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट में अपना फीडबैक जरूर दें

  1. Q : ज्ञान का आधार क्या है?

    Ans : ज्ञान का आधार विद्या है अगर आप विद्या लेते हैं तो आपको ज्ञान बहुत ही जल्द हो जाएगा

  2. Q : Gyan से क्या तात्पर्य है?

    Ans : अगर आप ज्ञान लेते हैं तो आपको सारा चीज समझ में आ जाएगा कि किस तरह से कोई भी कार्य करना होता है

  3. Q : ज्ञान कितने प्रकार का होता है?

    Ans : ज्ञान मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं 1. प्रयोग मूलक ज्ञान 2. परगनुभव ज्ञान

  4. Q : ज्ञान कहाँ से मिलता है?

    Ans : ज्ञान पढ़ाई के माध्यम से मिलता है जितना ज्यादा आप पढ़ेंगे उतना ज्यादा आपको ज्ञान होगा इसलिए ज्ञान होने के लिए पढ़ाई बहुत ही जरूरी है

  5. Q : ज्ञान का स्रोत क्या है?

    Ans : ज्ञान का मुख्य स्रोत पढ़ाई है

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